बाल दिवस


हर गली में देखना ,होगा ज़रूर वो चेहरा
जिसके परछाई का रंग होगा औरो से ज्यादा ही गहरा

अनपढ़ अधनंगा घूमता वो
कूड़ा कबाड़ा चुनता वो
भर सके बस पेट अपना
इस उम्मीद में घूमता वो

साथ मे छोटी सी बहना
चेहरे पर जिसके कुछ निशान
कैसे करेगा परवरिश 
है इसी सोच से परेशान

किसी स्टेशन के सीढ़ियों पर
मंदिर के गली या दरगाह से गुजरते हुए
कइयों से मदद मांगता हाथ फैलाते हुए

कुछ लोग डालते हाथ मे उसके चंद पैसे
कुछ मुंह फेरते, मनहूसियत देखा हो जैसे।

न कोई अपेक्षा न ही कोई सपना लिए
बस जी सके दुनिया मे अपनी 
साथ कोई अपना लिए

हर सुबह उम्मीद से वो निकलता झोला लेकर
कंधे पर छोटी सी दुनिया अपनी उस बहना को लेकर
कि है अगर भगवान या अल्लाह, तो आज वो दिन आएगा
न मांगना पड़े किसीसे ऐसा दिन दिखलायेगा

वो जा सके स्कूलों में
देख सके कोई वो सपना
लड़ रहा है जंग अकेला 
साथ दे कोई तो अपना।

उस चेहरे को देख कर खयाल ज़रूर तो आता है
बंट जाती है सोच अपनी समझ नहीं फिर आता है
कर सकते है मदद ज़रूर पर रोकती है ये समस्या
है समूह इनका जो करता अपनी ये दुर्दशा

कर सकते हो ज़रूर करना किसी की तुम मदद
किसी गुमशुदा मासूम से फूल की दुनिया सँवर जाएगी
कुछ नहीं जाएगा मगर
भगवान का आशीर्वाद और थोड़ी सी दुआ ज़रूर मिल जाएगी।
                                            ~RV

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