ऐसा मेरा देश है

​सोने की चिड़िया है ये
जिसे चुगने को दाना नही
जो अनाज उगाता है
उसके नसीब खाना नही



सरहद पर जवान हैं
न हिन्दू न मुसलमान हैं
न सिख इसाई जैन है
वो रक्षा करते औरों से
यहाँ देश बना शमशान है



अल्पबुद्धि काम को जाती
गतिमान है स्वाभिमान है
बुद्धी बाहर विदेश है जाती
यह कैसा अपमान है


घर घर नारी पूजी जाती
देवि मैय्या सब कहलाती
मगर अवस्था इस प्रकार है
बाहर निकले को घबराती



संस्कृति का पाठ पढ़ाए
योग वेद का ज्ञान कराए
आज देश की ये अवस्था
विनम्रता न मन को भाए



पिता देश के विश्व पे छाए
अहिंसा के पुजारी
आज पुत्र है रक्त बहाये,घर जलाये
मानवता पर भारी



ऐसा मेरा देश है
यहां पेट न भरता किसान का
डरता परिवार जवान का
सक्षम सारे दर दर भटके
युद्ध है गीता कुरान का
                                                  ~RV

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