Mother's Day


बाहर रहता हूं, घर से दूर, अजनबियों के साथ। है कुछ दोस्त, जिन्हें अपना कह सकूँ, पर घर तो घर होता है। 
जब भी छुट्टियाँ होती है, घर जाने का खयाल आता है । अंदर एकदम से खुशी की लहर उठ जाती है। पता होता है घर पर कुछ करना नहीं है, बस आराम करना है, सुस्ताना है और समय बर्बाद ही करना है। बावजूद इसके घर तो जाना है। कभी कभी तो सोचता हूं घर न जाऊँ। घर जाकर करूँगा भी क्या, यहीं पर रुकता हूँ, बचा हुआ काम खत्म कर लेता हूं। यहां रहूंगा तो आगे के काम को भी जल्दी से शुरू कर सकूंगा ताकि वक़्त आने पर सब संभालने में आसानी होगी ।
मगर एक खयाल जब आता है, तब सारी दुविधाओं का अंत हो जाता है। घर जाने पर माँ से मिलूंगा । यही खयाल काफी है सब कुछ छोड़ छाड़ कर घर लौट जाने के लिए।
आज भी जब घर को जाता हूं, सबसे पहले माँ को ढूंढता हूँ। वैसे तो जब मालूम होता है कि मैं घर आने वाला हूं तो राह ताके इंतज़ार में रहती है, लेकिन जब बिना बताए जाता हूं तो हर कमरे में, रसोई में हर जगह ढूंढता हूँ कि माँ कहां है। माँ के मिलने पर ही चैन आता और बाकी कोई काम किया जाता है।
एक बात तो ज़रूर है, जब माँ दिख जाती है तो सफर का सारा थकान , मन में चल रही सारी परेशानियां सब कुछ एकदम उड़ सा जाता है। लगता है,  बस यही तो है, जिसे ढूंढते हुए आदमी मंगल ग्रह तक चला गया, संत साधु सब हिमालय गमन को निकल गए। माँ का आशियाना, शांति का मंदिर।
घर आकर 2-3 दिन ऐसी खातिरदारी होती है मानो राजा जंग जीत कर आये हो। मनपसंद खाना, बिना कोई बहाना। जब मर्जी सोने जाओ, जब मर्जी उठो। न कोई चिंता, न ही कोई गम,  बिल्कुल HAKUNA MATATA । किसी चीज़ की कमी नहीं। बस यही तो है स्वर्ग। लगता है कि मेहमान हो, कहीं के भगवान हो।
ये सिलसिला कुछ दिनों तक चलता है। फिर वो स्वर्ग वापस धरती पर लौट जाता है। अब देर तक सोने पर डांट पड़ती । बाजार से धनिया लाना पड़ता। टिंडे की सब्जी खानी पड़ती। ये माँ का प्यार ही तो है। उसका दुलार ही तो है। ऐसा प्यार और कहां, जो खींच ले आती है रोज़ मर्रा के बकवास ज़िन्दगी से घर पर।
माँ के बारे में जितना लिखूं कम होगा। ज्यादा लंबा लिखने पर आप लोग पढ़ते भी नहीं। 
पढ़ने के लिए शुक्रिया। इस मातृ दिवस पर सभी माँ को नमन।
Happy Mother’s Day 
                                                                              ~RV

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